अफगानिस्तान में होने वाली समिट में शामिल होंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर और शाह महमूद कुरैशी, दोनों की हो सकती है मुलाकात- सूत्र
नई दिल्लीः पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने हाल में शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने की बात कही. अब दोनों देशों के विदेश मंत्री मार्च के अंत में आमने-सामने हो सकते हैं. विदेश एस जयशंकर इस महीने के अंत में अफगानिस्तान के मुद्दे पर होने वाली एक मीटिंग में हिस्सा लेने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे जाने वाले हैं. इस मीटिंग में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी हिस्सा लेंगे. सूत्रों के मुताबिक वहां पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की मुलाकात संभव है.
दोनों देशों के विदेश मंत्री 30 मार्च को दुशांबे में हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. इसमें अफगानिस्तान के भविष्य पर चर्चा होगी. सूत्रों के अनुसार इस दौरान दोनों के बीच मुलाकात हो सकती है. संभावित द्विपक्षीय बैठक के लिए राजनयिक कदम उठाए जा रहे हैं. सम्मेलन इस्तांबुल प्रोसेस का हिस्सा है, जो एक स्थिर और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान के लिए सुरक्षा और सहयोग पर एक क्षेत्रीय पहल है. इसे नवंबर 2011 में तुर्की में लॉन्च किया गया था.
2019 में सार्क विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में नहीं हुई थी बैठक
सितंबर 2019 में सार्क विदेश मंत्रियों की न्यूयॉर्क में हुई मीटिंग दोनों की मुलाकात के लिए एक अवसर था लेकिन तब दोनों मंत्रियों से मुलाकात नहीं हुई थी. कुरैशी बैठक में तभी आए थे जब जयशंकर अपना भाषण पूरा करने के बाद चले गए. हाल के समय में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और जनरल बाजवा के बयानों के बाद बदलाव के संकेत मिले हैं. दोनों पक्षों ने संघर्ष विराम समझौते का पालन करने पर सहमति जताई है.
बाजवा ने बातचीत के लिए अनुकूल माहौल पर दिया था जोर
जनरल कमर जावेद बाजवा ने दोनों देशों के बीच शांति की दिशा में बातचीत शुरू करने के लिए कश्मीर में “अनुकूल माहौल” बनाने की बात कही है. पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित इस्लामाबाद सिक्योरिटी डायलॉग नामक एक कार्यक्रम में बोलते हुए बाजवा ने यह नहीं बताया कि कश्मीर में “अनुकूल” स्थितियों से उनका क्या अभिप्राय है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह थी कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के बारे में पाकिस्तान की घोषित स्थिति का उल्लेख नहीं किया. इसके साथ न ही बाजवा ने जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त, 2019 को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के मुद्दे पर कोई बदलाव की मांग की.