Azamgarh: मंत्री Dara Singh Chauhan के दल बदलने पर बोले गांववाले: मौसम की तरह बदलते हैं नेता; जनता को गुमराह करने वाले नेताओं को मिलना चाहिए सबक
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Azamgarh: मंत्री Dara Singh Chauhan के दल बदलने पर बोले गांववाले: मौसम की तरह बदलते हैं नेता; जनता को गुमराह करने वाले नेताओं को मिलना चाहिए सबक
Azamgarh: यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे Dara Singh Chauhan के भाजपा छोड़कर सपा में शामिल होने के बाद आजमगढ़ के लोग गुस्से में हैं। जब उनके पैतृक गांव गेलवारा के ग्रामीणों से बातचीत की, तो उनका गुस्सा फूट पड़ा। लोगों का कहना है कि अवसरवादी नेताओं को सबक सिखाना चाहिए। चुनाव आने पर बड़े नेता अपने फायदे के लिए दल बदलते हैं। ऐसे में इन नेताओं को नकार देना चाहिए।
प्रदेश सरकार में मंत्री रहे दारा सिंह चौहान के सपा में जाने पर बोले गांव वाले अवसरवादी नेताओं को सबक सिखाने की जरूरत।
अवसरवादी नेताओं को नकारने की जरूरत
दैनिक भास्कर से स्थानीय निवासी सूर्यकेश ने कहा कि जब चुनाव आता है, तो बड़े नेता अपने फायदे के लिए दूसरे दलों में घुसपैठ करते हैं। अगर यह लोग विकास के काम कराते, तो इन्हें दूसरे दलों में जाने की जरूरत न पड़ती। समीकरण के सहारे जीतने वाले इन अवसरवादी नेताओं को नकार देना चाहिए। यह लोग विकास के दावे करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद लौट कर नहीं आते। वहीं साकेश यादव का कहना है कि जैसे गरीब लोग कपड़े बदलते हैं, वैसे नेता पार्टी बदल रहे हैं। यह लोग जनता को गुमराह करने का काम करते हैं। जनता को इन्हें सबक सिखाना चाहिए।
दो साल से न्यूट्रल थे दारा सिंह
योगी सरकार ने भले ही दारा सिंह चौहान को कैबिनेट में जगह दी थी, लेकिन करीब 2 साल से वह न्यूट्रल थे। जिले के सगड़ी विधानसभा में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने के बाद उसमें शामिल हुए थे। भाजपा नेताओं का कहना है कि जिले और मंडल में होने वाले कार्यक्रमों में मंत्री की सहभागिता नहीं थी।
सभी दलों में रह चुके दारा
दारा सिंह चौहान को दल बदलने में माहिर माना जाता है। डीएवी पीजी कॉलेज, आजमगढ़ में उपमंत्री चुने जाने के बाद वह काफी दिनों तक कांग्रेस संगठन में बतौर पदाधिकारी रहे। 1996 में सपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। 2000 में कार्यकाल पूरा होने पर फिर 2000 से 2006 तक राज्यसभा में सपा का प्रतिनिधित्व किया।
इसके बाद वह बसपा में शामिल हो गए। बसपा सुप्रीमो मायावती ने घोसी लोकसभा सीट से 2009 में चुनाव लड़ाया। जीतकर वह पहली बार लोकसभा सदस्य बने। 2014 में फिर बसपा के टिकट पर लोकसभा के लिए मैदान में उतरे। हालांकि भाजपा प्रत्याशी हरिनारायण राजभर के हाथों उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
2014 के बाद बदले समीकरण के चलते उन्होंने 2015 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। 2017 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के टिकट पर मऊ की मधुवन सीट से निर्वाचित हुए।
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