भारत में कोरोना से मौतें कम क्यों, AIIMS की स्टडी में हुआ खुलासा

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भारत में कोरोना से मौतें कम क्यों, AIIMS की स्टडी में हुआ खुलासा

भारत में कोरोना से मौतें कम क्यों, AIIMS की स्टडी में हुआ खुलासा

भारत में कोरोना संक्रमण के मामले कम नहीं है. विश्व में अब तक 12 करोड़ 47 लाख लोगों को कोरोना संक्रमण हो चुका है. इनमें 27.36 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना संक्रमण के मामले में भारत का स्थान तीसरा है. यहां अब तक लगभग 1.1 करोड़ कोरोना संक्रमण के मामले आ चुके हैं. लेकिन भारत के लिए यह सौभाग्य की बात है कि जिस अनुपात में भारत में कोरोना संक्रमण हो रहा है उस अनुपात में कोरोना से लोगों की मौत नहीं हो रही.

भारत में अब तक कोरोना संक्रमण से 1.60 लाख लोगों की मौत हो चुकी है जबकि ब्राजील में 1.20 करोड़ संक्रमण पर 2.95 लाख मौतें हो चुकी हैं. भारत में कोरोना संक्रमण से मृत्यु दर क्यों कम है, इस रहस्य से पर्दा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी और एम्स के वैज्ञानिकों ने उठा दिया है. इनके संयुक्त स्टडी को टॉप मेडिकल जर्नल फ्रंटियर इन इम्युनोलॉजी में प्रकाशित किया गया है.

T-cells की महत्वपूर्ण भूमिका

शोधकर्ताओं ने कोरोना काल से पहले कुछ लोगों के खून से 66 प्रतिशत ब्लड सैंपल और प्लाजमा को एकत्र किया था. इन लोगो में कोरोना संक्रमण का कोई जोखिम नहीं था. शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान पाया कि इनके ब्लड सैंपल और प्लाजमा में SARS-CoV-2 के खिलाफ CD4+T cells ने प्रभावी तरीके से प्रतिक्रिया दी. SARS-CoV-2 के कारण ही कोरोना वायरस का संक्रमण होता है.

इससे भी बड़ी बात यह थी कि हेल्दी डोनर से प्राप्त 21 प्रतिशत सैंपल में SARSCoV-2 के कारण बढ़ने वाला प्रोटीन को भी मजबूती से किनारे लगा दिया. यह अध्ययन कोरोना वायरस से प्रभावित हुए बिना 32 लोगों और कोरोना से प्रभावित 28 लोगों के इम्यून प्रोफाइन (टी सेल) पर आधारित है. दरअसल टी सेल खून में मौजूद श्वेत रक्त कोशिका (डब्ल्यूबीसी) का एक प्रकार है जो इम्यून सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण है. इसी सेल पर इम्यून सिस्टम का आधार टिका होता है.

टी सेल्स शरीर को कोरोना से लड़ने के लिए सक्षम बनाता

CD4 T-cells को हेल्पर सेल कहा जाता है क्योंकि वे संक्रमण को बेअसर नहीं करते बल्कि शरीर में ऐसी शक्ति भरते कि शरीर किसी संक्रमण के समय खुद ब खुद प्रतिक्रिया के लिए सक्षम हो सके. एम्स बायोकेमेस्ट्री डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अशोक शर्मा ने बताया कि टी सेल्स की उपस्थिति जो SARSCoV-2 वाले प्रोटीन को बढ़ाने के लिए उत्तरदायी होते हैं, यही सेल्स कोरोना से कभी न संक्रमित हुए व्यक्ति में उसी प्रोटीन को न बढ़ाने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं. इस वजह से जब कोरोना वायरस के संपर्क में आता है तो उसे सामान्य सर्दी होती है.

इस स्टडी के प्रमुख लेखन और एनआईई में इम्युमोलॉजी के हेड डॉ निमेश गुप्ता ने बताया कि कोरोना वायरस के  टी सेल्स का जब टकराव होता है तब सामान्य सर्दी होती है लेकिन कोविड संक्रमण से रक्षा नहीं कर पाते. हालांकि यह बीमारी की गंभीरता को कम करने में सहायक जरूर होती है.  एम्स के पूर्व प्रोफेसर डॉ एन के मेहरा ने बताया कि भारत में कोरोना संक्रमण से मौत की दर 1.5 प्रतिशत है जबकि अमेरिका में 3 प्रतिशत और मेक्सिको में तो 10 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के पहले संपर्क में आ जाने से सामान्य सर्दी होती है. निश्चित रूप से भारत में मृत्यु दर को कम करने में इसकी भूमिका है.

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