108 साल बाद काशी पहुंची प्राचीन प्रतिमा: श्री काशी विश्वनाथ धाम में CM Yogi करेंगे पुनर्स्थापना, मां अन्नपूर्णा को कराया जा रहा नगर भ्रमण
108 साल बाद कनाडा से काशी आई मां अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा।
108 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सोमवार की सुबह मां अन्नपूर्णा की प्राचीन दुर्लभ प्रतिमा काशी पहुंच गई। मां की प्रतिमा दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा के मंदिर से सुबह 7:30 बजे नगर भ्रमण के लिए निकली। बांसफाटक स्थित ज्ञानवापी द्वार पहुंचने पर बाबा विश्वनाथ की रजत पालकी में रजत सिंहासन पर विराजमान होकर मां अन्नूपर्णा श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश करेंगी। CM Yogi(मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) सुबह 9:30 बजे मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा की विधिविधान से पुनर्स्थापना करेंगे। पुनर्स्थापना का काम काशी विद्वत परिषद की निगरानी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का अर्चक दल संपन्न कराएगा।
दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा मंदिर से मां अन्नपूर्णा की शोभायात्रा श्री काशी विश्वनाथ धाम के लिए निकली।
मिर्जापुर जिले के चुनार के बलुआ पत्थर से बनी 18वीं शताब्दी की मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 1913 में काशी से चोरी हुई थी। इस प्रतिमा में मां के एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से कनाडा से भारत आई मां की प्रतिमा बीते 11 नवंबर को दिल्ली में उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी गई थी।
प्रदेश के 18 जिलों से होते हुए मां की प्रतिमा निर्धारित समय से लगभग 12 घंटे की देरी से सोमवार की भोर वाराणसी जिले की सीमा पिंडरा पहुंची। पिंडरा से बाबतपुर, गिलट बाजार, सर्किट हाउस, चौकाघाट, तेलियाबाग, रथयात्रा, मंडुवाडीह, लंका होते हुए प्रतिमा दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा मंदिर आई। इसके बाद अब दुर्गाकुंड से गुरुधाम चौराहा, मदनपुरा, गोदौलिया होते हुए श्री काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर 4 पर प्रतिमा पहुंचेगी।
मां अन्नपूर्णा की शोभायात्रा में शामिल उनकी प्रतिमा का स्वरूप।
1 साल पहले प्रतिमा के आने की PM मोदी ने दी थी जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2020 को अपने मन की बात कार्यक्रम में देश के लोगों को मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा में मिलने की जानकारी दी थी। उन्होंने उस दिन कहा था कि हर एक भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि मां अन्नपूर्णा की सदियों पुरानी प्रतिमा कनाडा से भारत वापस लाई जा रही है। यह प्रतिमा करीब 108 साल पहले वाराणसी के एक मंदिर से चोरी हुई थी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने पिछले साल देव दीपावली के एक दिन पहले मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा वापस मिलने की जानकारी दी थी। अब इस वर्ष देव दीपावली के पहले ही मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा काशी विश्वनाथ धाम में होने जा रही है।
18वीं शताब्दी की मां अन्नपूर्णा की यही प्रतिमा 108 साल बाद कनाडा से काशी आई है।
भारतीय मूल की आर्टिस्ट की 2019 में पड़ी थी नजर
मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना स्थित मैकेंजी आर्ट गैलरी के कलेक्शन का हिस्सा थी। इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकील नॉर्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार बनवाया गया था। 2019 में विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा को मैकेंजी आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी लगाने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने गैलरी में रखी प्राचीन मूर्तियों का अध्ययन करना शुरू किया तो उनकी नजर मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा पर पड़ी। जब उन्होंने रिकॉर्ड खंगाला तो पता लगा कि वर्ष 1913 में वाराणसी के गंगा किनारे स्थित एक मंदिर से ऐसी ही मूर्ति गायब हुई थी जिसे मैकेंजी आर्ट गैलरी ने हासिल किया था।
शोभायात्रा में शामिल युवतियां सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए।
आर्टिस्ट की बात पर भारत सरकार ने की पहल
दिव्या मेहरा ने मैकेंजी आर्ट गैलरी के सीईओ जॉन हैम्प्टन से अन्नपूर्णा प्रतिमा के बारे में बात की। उनसे कहा कि प्रतिमा को भारत को वापस लौटाना चाहिए। मैकेंजी आर्ट गैलरी के सीईओ समेत अन्य अधिकारियों ने दिव्या मेहरा की बात मान ली। इसका पता ओटावा स्थित इंडियन हाई कमीशन को भी लगा। इसके बाद भारतीय अधिकारियों ने डिपार्टमेंट ऑफ कनेडियन हेरिटेज से संपर्क किया और अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा को भारत भेजने की बात कही। कनाडा सरकार ने सहमति दे दी और तब जाकर मां अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा के भारत आने का रास्ता साफ हुआ।
जौनपुर से भोर में वाराणसी के पिंडरा पहुंची मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के दर्शन-पूजन के लिए उमड़े श्रद्धालु।
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