Roohi 2021 Movies Review

0
Pic Credit: YouTube/Maddock Films

Roohi 2021 Movies Review

Artists: Rajkumar Rao, Varun Sharma, Janhvi Kapoor, Manav Vij, Alex O Neil, Sarita Joshi, Rajesh Jais, Gautam Mehra, Adesh Bhardwaj and Anurag Arora etc.
Authors: Gautam Mehra, Mrigdeep Singh Lamba
Director: Hardik Mehta
Producer: Dinesh Vision
Released Date: 11 March 2021 (India)
Genres: Comedy, Horror
IMDB Ratings: 6.3/10

सिनेमा संभावनाओं का तमाशा है। तमाशा ऐसा जिसको आखिरी सीन तक सुलझाए रखना बहुत जरूरी है। निर्माता दिनेश विजन की इस मामले में तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने हिंदी सिनेमा के दर्शकों को अलग तरह की फिल्मों का स्वाद चखाया है। ‘Being Cyrus’ से शुरू हुआ उनका सफर ‘Love Aajkal’, Cocktail’, ‘Go Goa Gone’, ‘Badlapur’ , ‘Hindi Medium’ और ‘Stree’ से होता हुआ ‘Roohi’ तक पहुंचा है। वह जोखिम उठाने वाले फिल्म निर्माता है। पटकथाओं का आखिरी सीन तक लिटमस टेस्ट कर सकने वाली एक अनुभवी टीम उनके पास हो तो वह हॉलीवुड के बड़े से बड़े प्रोडक्शन स्टूडियो को मात दे सकते हैं। ‘Roohi’ में उन्हें एक जबर्दस्त विजुअल इफेक्ट्स टीम मिली है। कलाकार तो उनके तीनों दमदार हैं ही।

फिल्म ‘Roohi’ तीन वजहों से देखी जाने लायक फिल्म है। पहली तो ये कि जब अक्षय कुमार, रोहित शेट्टी और कटरीना कैफ जैसे दिग्गजों की फिल्म छोटे अंबानी की कंपनी रिलीज करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही तो बड़े अंबानी की कंपनी ने नए साल की पहली बड़े सितारों वाली फिल्म सिनेमाघरों में उतारने का फैसला कर लिया। ‘Stree’ की ब्रांडिंग का भी इस फिल्म को फायदा है। फिल्म ‘Roohi’ की कहानी बुंदेलखंड में बसे काल्पनिक शहर की कहानी है जहां साल 2021 में भी पकड़ुआ विवाह होता है। बिहार वाले पकड़ुआ विवाह से ये ठीक उलट है। यहां लड़कियों की जबरिया शादी होती है। इन्हीं लड़कियों में से एक मुड़ियापैरी भी है। मुड़ियापैरी यानी वो चुड़ैल जिसके पैर उलटे होते हैं। भौरा पांडे लोकल अखबार का रिपोर्टर है और अपने साथी कटन्नी के साथ मिलकर लड़कियां उठाने का पार्टटाइम धंधा भी करता है। लेकिन, इस बार जो लड़की दोनों ने उठाई है, वह इनका चाल, चरित्र और चेहरा सब बदल देने वाली है।

Pic Credit: YouTube/Maddock Films

फिल्म को देखने की दूसरी अच्छी वजह है, इसके कलाकारों की मेहनत। फिल्म में मानव विज की ओवरएक्टिंग छोड़ दी जाए तो छोटे से छोटे रोल में भी कलाकारों ने अच्छा काम किया है। ‘Stree’ के विकी से ‘Roohi’ के भौरा को अलग रखने के लिए राजकुमार राव ने अपने गेटअप, अपने चलने के अंदाज और अपने बोलने के तरीके में बढ़िया बदलाव किया है। राजकुमार राव के साथ प्लस प्वाइंट ये है कि उनका एक फैन बेस पूरे देश में बन चुका है जो उनकी फिल्म देखता ही देखता है। औसत यही रहा है कि राजकुमार राव की फिल्मों की कहानी अच्छी होती है। और, जिम्मेदारी अकेले उनके कंधे पर ही हो तो वह फिल्म को आखिरी सीन तक जमा भी ले जाते हैं।

अभिनय के मामले में फिल्म ‘Roohi’ वरुण शर्मा और जान्हवी कपूर के करियर का भी अहम पड़ाव है। जान्हवी कपूर के अभिनय में फिल्म दर फिल्म गजब का निखार आता दिख रहा है। बड़े परदे पर वह आने वाले दिनों में तमाम दिग्गज अभिनेत्रियों के लिए चुनौती बनती दिख रही हैं। फिल्म में वह एक ही किरदार कर रही हैं, जो सामान्य हालत में कुछ और होता है और चुड़ैल का साया आ जाने के बाद कुछ और। वरुण शर्मा फिल्म ‘Roohi’ का एक्स फैक्टर हैं। ये कलाकार अगर इसी तरह कॉमेडी को सिद्ध करता रहा तो आने वाले दिनों में वरुण के नाम से ही वितरक फिल्म उठाने लगेंगे। अगर ऐसा हुआ तो जॉनी वाकर, महमूद जैसे कलाकारों की फेहरिस्त में उनके नाम की चिप्पी भी चिपक सकती है। बस सोलो हीरो बनने के मोह से उन्हें दूर रहना है।

तीसरी अच्छी वजह फिल्म को देखने की है इसकी तकनीकी टीम की शानदार की मिया गिरी। अमलेंदु चौधरी की सिनेमैटोग्राफी फिल्म के किरदार की तरह कहानी को आगे बढ़ाती है। फिल्म की शुरूआत से ही उनका कैमरा दर्शक को सिनेमा के साथ लेने में कामयाब रहता है। जंगल वाले दृश्यों में उनकी लाइटिंग भी काबिलेतारीफ है। हुफेजा लोखंडवाला ने फिल्म की लंबाई बिल्कुल सटीक रखी है। दो घंटे 14 मिनट की इस फिल्म में उन्होंने गाने भी कतरे हैं और अनावश्यक भागदौड़ भी। सचिन जिगर ने ओरीजनल गाने जो भी बनाए हैं, अच्छे हैं। खासतौर से जुबिन नौटियाल का गाया ‘किस्तों में..’ कमाल गाना है।

फिल्म ‘Roohi’ की कमजोरियां दो हैं। एक तो ये कि एक कमाल के आइडिया पर उतनी ही कमाल पटकथा मृगदीप सिंह लांबा और गौतम मेहरा नहीं लिख पाए। संवादों में ब्रज से लेकर अवध और बुंदेलखंड तक की बोलियों का कॉकटेल बना देने से इनमें कहीं का भी रस नहीं आ पाया है। दूसरा प्वाइंट है फिल्म की बुनावट। इसे देखकर इस बात का भान होता है कि क्लाइमेक्स में जान्हवी कपूर पर फोकस लाने के लिए ही वरुण शर्मा और राजकुमार राव को साइडलाइन करने की कोशिश हुई है। फिल्म के संवादों में समलैंगिकता जहां तहां वैसे तो अंतर्धारा में बहती है, पर फिल्म के क्लाइमेक्स में आकर मुखर हो उठती है। इसी बात से फिल्म के निर्देशक की कमजोरी भी उजागर होती है। हार्दिक मेहता ने पूरी टीम को एक ही धरातल पर रखने की कोशिश पूरी फिल्म में अच्छी की है, लेकिन कप्तान के तौर पर उनकी अपनी कोई छाप फिल्म में बनती नहीं दिखती।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here