रूस के ऐसे शहर जहां रहने वाले लोगो को वोटिंग करने की थी मनाही
दुनिया भर में उत्तर कोरिया से जुड़ी हुई बहुत कम ही जानकारी पहुंचती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण सैन्य तानाशाही होना। इस मुल्क को दुनिया का सबसे कटा हुआ और चुप्पा देश माना जाता है। लेकिन ऐसे कई देश हैं, जो इन सब मामलों में बहुत आगे हैं। अगर बात रूस की ही करें, तो इस देश में तीन ऐसे शहर थे, जो हाल ही में दुनिया के सामने आए हैं। कई दशक से इन शहरों को रूस के नक्शे से गायब रखा गया और इसके बारे में कोई पता नहीं लगा सका।
दुबता दें कि सरोव, इलेक्ट्रोस्टल और देस्नोगॉर्क्स काफी लंबे समय से रूस के खुफिया अड्डे रहे। रूस के ये तीनों शहर एक साथ सोवियत के खुफिया लैब्स का काम करते रहे, जब वो परमाणु हथियार के लिए अमेरिका से होड़ में था। रूस का पहला न्यूक्लियर बम सरोव के साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सपेरिमेंटल फिजिक्स में तैयार किया गया था। खुफिया लैल्स की जानकारी दुनिया के सामने ना आए, इसके लिए इन तीनों शहरों पर में भी नहीं दिखाया गया था।
दुसाल 1990 में सोवियत यूनियन के बंटवारे के दौरान इन तीनों खुफिया शहर की जानकारी दुनिया के सामने आई। इससे पहले इन शहरों तक ट्रेन या बस भी नहीं जाती थी। रूस के बेहद खास लोग ही केवल इस शहर तक पहुंच सकते थे। परमाणु हथियारों पर काम कर रहे वैज्ञानिक, उनका परिवार और रूस में बड़े ओहदों पर बैठे लोगों को ही इन खुफिया शहरों में प्रवेश करने की इजाजत थी।
दुबता दें कि रूस के इन तीनों खुफिया शहरों में अब भी जिंदगी प्रतिबंधित है। इन शहरों में अब टॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट हैं, जहां किसी न किसी खुफिया अभियान की तैयारी चलती रहती है। सरोव शहर तो पूरी तरह से इलेक्ट्रिक बाड़े से घिरा हुआ है और पुलिस की पेट्रोलिंग चलती रहती है। इस शहर में बिना पास के कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है।
दुइन शहरों में रहने वाले वैज्ञानिकों से कॉन्ट्रैक्ट साइन करवाया जाता, जिसमें अपनी पहचान जाहिर न करने की शपथ होती थी। यहां रहने वाले लोगों को वोट करने का भी अधिकार नहीं मिलता था। हालांकि, सरकार इसके लिए उन्हें काफी सुविधाएं मुहैया कराती थी।