Delhi-NCR में प्रदूषण बढ़ने का बड़ा कारण Sound Pollution भी है? DPCC ने खर्च किए अब तक इतने हजार करोड़ रुपये
Delhi-NCR में प्रदूषण (Delhi-NCR Pollution) का एक बड़ा कारण सड़कों पर तेज आवाज में मॉडिफाइड साइलेंसर गाड़ियां, (Modified Silencer vehicles), देर रात तक तेज आवाज में डीजे और लाउडस्पीकर (DJ and Loudspeaker) बजना भी है. खासतौर पर मोडिफाइड साइलेंसर बाइक से निकलने वाली ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution) भी आपके सेहत (Health) को बिगाड़ रही है.
जानकार मानते हैं कि ध्वनि प्रदूषण से भी दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों की सेहत बिगड़ रही है. हालांकि, बता दें कि ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ पिछले कुछ दिनों में पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है. पिछले साल की तुलना में इस साल दिल्ली-एनसीआर में इस मॉडिफाइड साइलेंसर वाली बाइक पर दोगुनी कार्रवाई की गई है. साथ ही देर रात तक डीजे बजाकर ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर भी रोक लगाने के लिए प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है.
पिछले कुछ दिनों से गाजियाबाद में ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाली मॉडिफाइड साइलेंसर बाइक पर कार्रवाई तेज कर दी गई है. इस साल अब तक गाजियाबाद में तकरीबन साढ़े पांच हजार चालान किए जा चुके हैं, जबकि पिछले साल मात्र 2 हजार 785 चालान हुए थे.
मॉडिफाइड साइलेंसर गाड़ियों से 80 डेसिबल से अधिक ध्वनि निकलती है. (फोटो-ANI)
ध्वनि प्रदूषण से क्या नुकसान होते हैं
जानकार मानते हैं कि मॉडिफाइड साइलेंसर गाड़ियों से 80 डेसिबल से अधिक ध्वनि निकलती है, जो मानक से कई गुना ज्यादा है. यह आवाज हमारे कानों के पर्दे के लिए काफी हानिकारक है. डीजे और लाउडस्पीकर और ड्रम बजाने से भी ध्वनि प्रदूषण काफी फैलता है. प्रशासन को इस बारे में भी लगातार शिकायत मिल रही है. अब लाउडस्पीकर, ड्रम सहित अन्य शोर उत्पन्न करने वाले वाद्ययंत्र का उपयोग करने पर रोक लगाने की मांग की जा रही है.
478 करोड़ रुपये कहां गए?
बता दें कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) ने साल 2015 से लेकर अब तक 478 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. डीपीसीसी ने बताया कि साल 2008 में स्थापित ‘ग्रीन फंड’ से वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए कई परियोजनाओं पर अब तक 467.67 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. बता दें कि मार्च 2008 से अब तक कुल 547 करोड़ रुपये इस कोष में एकत्र किए गए हैं. इसमें से 527 करोड़ रुपये हरित गतिविधियों पर खर्च किए गए हैं. सरकार ने 2015 तक केवल 59 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया था, लेकिन पिछले सात सालों में इस कोष से 468 करोड़ रुपये का उपयोग किया जा चुका है.
ये भी पढ़ें: PHC DJ Recruitment 2021: पटना उच्च न्यायालय में निकली भर्ती
इस मद में खर्च हुए करोड़ों रुपये
DPCC ने इन पैसों का इस्तेमाल बैटरी से चलने वाले वाहनों के लिए सब्सिडी देने, ई-रिक्शा, ऑड-ईवन कैंपेन, दिल्ली सचिवालय में बायो-गैस संयंत्र के रखरखाव, ऑनलाइन वायु निगरानी स्टेशनों के संचालन, स्मॉग टॉवर की स्थापना तथा पर्यावरण मार्शलों का वेतन समेत अन्य मदों में किया गया है.
पढ़ें: