The Girl On The Train Movie Review

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The Girl On The Train Movie Review

IMDB Ratings: 4.3/10
Genres: | 26 February 2021 (USA)
Language: Hindi
Director: Ribhu Dasgupta
Writers: Paula Hawkins
Stars: Aditi Rao Hydari, Parineeti Chopra, Kirti Kulhari
OTT: Netflix

Paula Hawkins के उपन्यास पर बन चुकी एमिली ब्लंट स्टारर फिल्म ‘The Girl On The Train Review’ की रीमेक बनने की पहली खबर से लेकर फिल्म की Netflix पर रिलीज तक एक बात बहुत अच्छी रही और वह ये कि लोगों में इस फिल्म को देखने का उत्साह अंतिम दिन तक बना रहा। अच्छी कहानियों की प्रतिष्ठा ही ऐसी होती है। ये अलग बात है कि रिलायंस एंटरटेनमेंट या नेटफ्लिक्स को हिंदी फिल्में या सीरीज देखने वाले दर्शकों तक पहुंच पाने के तरीके अब भी नहीं पता। परिणीति चोपड़ा को सीधे सवालों से डर लगता है।

अनुराग कश्यप के शागिर्द रहे रिभु दासगुप्ता की तो स्कूलिंग ही ऐसी हुई है। लेकिन अदिति राव हैदरी ने इस फिल्म के बारे में अपने हिंदी पट्टी के प्रशंसकों तक पहुंचने की कोशिश क्यों नहीं की, ये बात फिल्म ‘The Girl On The Train Review’ जैसे सस्पेंस वाली ही है। फिल्म की दिक्कत ये है कि ये बहुत जमाकर शूट की गई फिल्म है और इस चक्कर में बोरिंग हो जाती है।

इस साल दिसंबर में Parineeti Chopra को सिनेमा में आए 10 साल पूरे हो जाएंगे। 32 साल की Parineeti Chopra ने अपने करियर में अब तक 13 फिल्में की हैं और ऐसा कुछ खास अब तक कर नहीं पाई हैं कि दो घंटे 12 सेकंड की फिल्म वह अकेले अपने कंधे पर खींच सके। लेकिन, फिल्म की कहानी की प्रतिष्ठा इस फिल्म को देखने को मजबूर करती है। यहां तक कि इस चक्कर में लोगों ने इसी नाम की एक और फिल्म नेटफ्लिक्स पर बीते दिनों देख डाली जिसका न पॉला हाकिंस से कुछ लेना देना था और न ही एमिली ब्लंट से।

Parineeti Chopra की फिल्म ‘The Girl On The Train Review’ की शुरूआत रोचक होती है। ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ टाइप के एक मामले की वकील मीरा कपूर का काली गाड़ी पीछा कर रही है। वह भागकर घर पहुंचती है जो पीछे से आए पत्थर में संदेश है, एक खास केस न लड़ने का। मीरा नहीं मानती है। संदिग्ध अपराधी साबित होता है। मीरा का पति डॉक्टर है। दोनों एक हादसे का शिकार होते हैं। मीरा एम्नीसिया (नींद न आने की बीमारी) से परेशान रहने लगती है। शराब में वह सहारा ढूंढती है। और इसी शराब के चक्कर में वह एक कत्ल के मामले में फंस जाती है।

फिल्म ‘The Girl On The Train Review’ की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी पृष्ठभूमि है। सिर्फ सब्सिडी का मामला हो तो अलग बात है वरना इस कहानी को अगर हिंदी में बनाना ही था तो इसे किसी भी ऐसे शहर में सेट किया जा सकता है जहां उपनगरीय ट्रेनें चलती हैं। एक ठीकठाक कहानी की हीरोइन एमिली ब्लंट हो तो इसकी सेटिंग विदेशी समझ आती है, पर Parineeti Chopra? उनके लिए तो वर्सोवा से घाटकोपर वाला मेट्रो रूट क्यों नहीं हो लिया जा सकता था, या फिर दिल्ली आते तो वैशाली से कनाट प्लेस वाला रूट भी परफेक्ट होता। निर्देशक रिभु दासगुप्ता पहली मात यहीं खाते हैं।

देसी कलाकारों को विदेशी लोकेशंस पर ले जाकर रिभु शायद फिल्म को ‘क्लासी’ बनाने की कोशिश में रहे होंगे, लेकिन फिल्म का विषय बहुत ‘मासी’ है और अगर ये फिल्म किसी भारतीय शहर की उपनगरीय ट्रेन में शूट की गई होती तो और असली सी लगती। अभी पूरा माहौल नकली नजर आता है। निर्देशन की और भी गलतियां रिभु दासगुप्ता ने फिल्म में की हैं। Parineeti Chopra की कूवत में ऐसा किरदार है नहीं। काजल से आंखें कभी सजाकर और कभी यही काजल चेहरे पर बहाकर वह तबू जैसी एक्टिंग करने की कोशिश तो बहुत करती हैं, लेकिन उनके चेहरे के भाव ज्यादा कुछ बदलते नहीं हैं।

फिल्म के बाकी कलाकारों में सबसे सटीक काम अविनाश तिवारी ने किया है। उनका रूप परिवर्तन फिल्म में देखने लायक है। ‘लैला मजनू’ और ‘बुलबुल’ के बाद अविनाश इस फिल्म में दो कदम और आगे बढ़े हैं। कीर्ति कुलहरी ने बिना किसी मेकअप के अपना रुआब बढ़िया गालिब किया है। कहानी में उनका मौजूद होना फिल्म को मजबूती देता है। उनके आसपास एक दो किरदार और अच्छे होते तो उनका किरदार बेहतर तरीके से निखर सकता था। अदिति राव हैदरी फिर एक बार स्याह किरदार में भी सच्ची लगी हैं। उनके हिसाब से हिंदी सिनेमा में अभी दमदार किरदार लिखे नहीं गए हैं।

फिल्म ‘The Girl On The Train Review’ तकनीकी तौर पर भी एक कमजोर फिल्म है। फिल्म की लंबाई इसकी सबसे बड़ी दुश्मन है। फिल्म की सही लंबाई 90 मिनट होनी चाहिए थी। फिल्म में गानों की जरूरत ही नहीं है। जहां भी ये गाने आते हैं फिल्म की चाल को सुस्त ही करते हैं। एडीटर संगीत वर्गीस को यहां अपना हुनर दिखाना चाहिए था और फिल्म के ओटीटी पर जाने के बाद निर्देशक को फिल्म की अवधि कम करने के लिए कनविंस करना चाहिए था। फिल्म के कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट ने जरूर काबिले तारीफ काम किया है।

Parineeti Chopra, अदिति और कीर्ति के कॉस्ट्यूम में सीन के हिसाब से खासी मेहनत की गई है। लेकिन, इससे फिल्म की बाकी खामियां छुप नहीं पाती हैं। फिल्म वन टाइम वॉच है। देखते समय स्मार्ट टीवी का रिमोट हाथ में रखिए, गाने और मेलाड्रामा वाले सीन फास्ट फॉरवर्ड करके फिल्म देख सकते हैं।

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