The Guilty Review: किसी और के दर्द को महसूस करके खुद का गुनाह कुबूल करना ‘द गिल्टी’
The Guilty Review: फिल्म लाजवाब बनी है. एकदम कड़क चाय की तरह जो नींद उड़ा देगी. इसे जरूर देखिये. इसके बाद इसका डेनिश ओरिजिनल फिल्म देखने का भी मन हो जाये, ये संभव है.
अमेरिका और यूरोप में परिवार की संकल्पना पिछले कुछ सालों में टूट चुकी है. अब सिर्फ लिव इन रिलेशनशिप, एक रिश्ते से दूसरे में भागना, शादी के बावजूद अवैध सम्बन्ध रखना ये सब परिवार को खत्म कर चुके हैं. कम से कम फिल्मों को देख कर तो यही लगता है. ये बात पूरी तरह सत्य नहीं है. अभी भी परिवार हैं. माता पिता और उनके बच्चे या फिर बूढ़े माता पिता जो अपने बेटे या बेटी के साथ रहते हैं. परिवार से बिछड़ने का दुःख तो सब को होता है.
तलाक के बाद, अपने बच्चों से बिछड़ने का दुःख सबसे ज़्यादा सालता है. एक टूटते हुए रिश्ते में अपने बच्चों की सुरक्षा का ख्याल, इस से भी आगे हैं. ये दुःख आधार बना है नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ फिल्म ‘The Guilty’ का. लगभग पूरी फिल्म एक ही कमरे में शूट की गयी है और एक ही शख्स पर फोकस किया गया है क्योंकि फिल्म के हीरो को किसी और के दुःख से सहानुभूति होती है तो उसे अपने गुनाह याद आते हैं. एक शानदार फिल्म है.
2018 की डेनिश फिल्म ‘The Guilty’ का रीमेक नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ किया गया. जापानी फिल्म निर्देशक अकीरा कुरोसावा की फिल्मों ने कई निर्देशकों को प्रभावित किया है. इन्हीं में से एक थे म्यूजिक वीडियो निर्देशक एंटोइन फूका। इनकी पहली ही फिल्म ‘द रिप्लेसमेंट किलर्स’ को सफलतम निर्माता- निर्देशक जॉन वू ने प्रोड्यूस किया था.
फूका की अधिकांश फिल्में क्राइम थ्रिलर होती हैं. कोरोना काल में इस फिल्म को बनाने की वजह थे फिल्म के हीरो जैक गैलेनहाल, जिन्होंने ओरिजिनल फिल्म के अधिकार खरीदे थे. फूका ने पूरी फिल्म की शूटिंग मात्र 11 दिनों में पूरी कर ली थी और यही नहीं कोरोना की वजह से पूरी फिल्म एक वैन में बैठ कर मॉनीटर्स की मदद से निर्देशित की थी.
19 साल के एक लड़के की हत्या के इलज़ाम की वजह से लॉस एंजेलिस पुलिस डिपार्टमेंट के अफसर जो बेलर (जैक गैलेनहाल) को पुलिस डिपार्टमेंट में फ़ोन ऑपरेटर का काम दे दिया जाता है. मामला कोर्ट में जा चुका है और जैक अपनी पत्नी और बेटी से अलग रहने के लिए मजबूर है. एक रात को एक लड़की एमिली का फ़ोन आता है कि उसका अपहरण हो गया है और अपहर्ता उसे एक वैन में लेकर हाईवे पर जा रहा है.
जैक हाईवे पुलिस की मदद मांगता है मगर बगैर नंबर के गाडी का पता लगाना मुश्किल होता है. जैक उस लड़की के घर फ़ोन लगाता है तो उसकी 6 साल की बेटी उसे बताती है कि उसकी माँ तो पापा के साथ गयी है. एमिली तक पहुंचने का कोई जरिया न होने की वजह से जैक परेशान होता रहता है और अपने केस की सुनवाई के बारे में सोचता रहता है. जैक के कहने पर पुलिस एमिली के घर की तलाशी लेते हैं तो उन्हें एमिली की बेटी मिलती है और मिलता है एमिली का लहूलुहान बेटा.
जैक के साथी, एमिली के पति के घर में ताला तोड़ कर घुसते हैं तो उन्हें तलाशी में पता चलता है कि एमिली एक मानसिक रोगी है और उसका इलाज चल रहा है. दवाई खरीदने के पैसे न होने की वजह से एमिली ने अपने बेटे को मारा था और इसी वजह से उसे हॉस्पिटल में दाखिल करवाने उसका पति उसे ले जा रहा होता है.
कुछ समय बाद एमिली फिर से जैक को फोन कर के कहती है कि वो आत्म हत्या करने जा रही है. जैक इस बार उसके फ़ोन की लोकेशन पता कर के पुलिस को उसे बचाने के लिए भेज देता है. एमिली कहीं आत्म हत्या न कर ले इस लिए जैक उस से बात करता रहता है.
एमिली की दास्तान सुनते सुनते जैक उसे अपने केस के बारे में बताता है और ये भी स्वीकार करता है कि उसने ही 19 साल के एक लड़के को मारा था क्योंकि उसे गुस्सा आ गया था और वो पुलिसवाला है इसलिए वो कुछ भी कर सकता है ये सोच कर उसने लड़के को खत्म कर दिया. हाईवे पुलिस एमिली तक पहुंच कर उसे गिरफ्तार करती है.उधर एमिली के बेटे को पुलिस हॉस्पिटल ले जाती है और वो बच जाता है. इस पूरे प्रकरण का जैक पर गहरा असर पड़ता है और वो अपना गुनाह क़ुबूल करने के लिए तैयार हो जाता है.
ओरिजिनल डेनिश फिल्म की कहानी गुस्ताव मोलर और एमिली नायगार्ड अल्बर्टसन ने लिखी थी. गुस्ताव ने एक यूट्यूब वीडियो देखा था जिसमें एक अपहृत लड़की अपने अपहरणकरता के बगल में बैठ कर पुलिस को फ़ोन करती है. इस वीडियो में सिर्फ आवाज़ ही सुनाई देती है. सिर्फ आवाज़ के दम पर कोई क्या क्या बता सकता है
ये जानकर गुस्ताव ने मन ही मन एक कहानी रच डाली. विश्व के सबसे प्रसिद्ध पॉडकास्ट “सीरियल” ने भी गुस्ताव को आवाज़ के ज़रिये एक मर्डर केस सुलझाने की कहानी को रचने की प्रेरणा दी. इंग्लिश रीमेक में फिल्म की पटकथा निकोलस पिजोलाटो ने लिखी है जिनकी बाकमाल लेखनी से मशहूर वेब सीरीज ‘ट्रू डिटेक्टिव’ भी निकली है.
फिल्म मात्र 90 मिनट की है. एक ही कमरे (पुलिस के कॉल सेण्टर) में है. कुल जमा 3 लोग स्क्रीन पर दिखाई देते हैं. बाकी सब फ़ोन पर सुनाई देने वाले आवाज़ें हैं. फिल्म के 99% हिस्से में कैमरा जैक गैलेनहाल का पीछा करता है. निर्देशक फूका की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने फिल्म में आवाज़ों के ज़रिये किरदार पैदा करने में सफलता हासिल की है. दर्शक और जैक एक जैसे ही होते हैं, सब कुछ फ़ोन कॉल के ज़रिये ही पता चलते जाता है इसलिए कभी भी जैक कोई सुपर हीरो नहीं बनता. वो फ़्रस्ट्रेट भी होता है, गुस्सा भी होता है, चिंतित भी होता है और परेशान भी.
जैक गैलेनहाल की ज़िन्दगी की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है “The Guilty”. उनके चेहरे पर एक तरह की उदासी दिखती है. पूरी फिल्म, उनके दिमाग में चल रहे द्वंद्व को चेहरे पर लाने में कामयाब हुई है. एक 19 साल के लड़के की हत्या का बोझ उठाने में उनका दिमाग थक चुका है और वो पूरी तरह से अकेले पड़ चुके हैं.
कैमरा माज़ मखानी के हाथों में है और उन्होंने क्लोज अप्स की मदद से एक एक फ्रेम को खूबसूरत बनाये रखा है. एक ही कमरे में शूट होने के बावजूद फिल्म बोझिल नहीं लगती. माज़ के कैमरा के साथ इस फिल्म की दर्शकों को बांधे रखने की क्षमता का श्रेय देना चाहिए फिल्म के एडिटर जैसन बैलेन्टाइन को. एक भी दृश्य अनावश्यक नहीं है.
जो बात खटक रही थी वो थी कि एमिली से अपनापन जाहिर करने के लिए, उसे फोन पर बातों में उलझा कर आत्म हत्या रोकने के लिए जो बेलर उसे अपना किस्सा सुनाते हैं कि किस तरह उन्होंने एक 19 साल के लड़के की हत्या कर दी क्योंकि वो पुलिसवाले थे और उन्हें लगा कि वो किसी का भी एनकाउंटर कर सकते हैं
तनाव से भरी इस फिल्म में कोई आत्मग्लानि से पीड़ित शख्स, अपने दिल की बात इतनी आसानी से एक अपहृत लड़की को कैसे बता सकता है? फिल्म लाजवाब बनी है. एकदम कड़क चाय की तरह जो नींद उड़ा देगी. इसे जरूर देखिये. इसके बाद इसका डेनिश ओरिजिनल फिल्म देखने का भी मन हो जाये, ये संभव है.
T20 World Cup 2021: आईसीसी ने भारत की 15 सदस्यीय टीम घोषित की, खास जर्सी पहनेंगे खिलाड़ी?