दिल्ली बारिश से रफ्तार थमी: जलभराव, ट्रैफिक और एक हफ्ते का येलो अलर्ट
दिल्ली-NCR ने भारी बारिश का वह चेहरा फिर देखा, जो सड़कों को तालाब बना देता है और दफ्तर समय पर पहुंचना आसान नहीं छोड़ता। शुक्रवार, 5 सितंबर को दिन भर बौछारें छिटपुट रहीं, मगर शाम होते-होते कई इलाकों में पानी भर गया और ट्रैफिक रेंगने लगा। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने येलो अलर्ट जारी रखते हुए साफ कहा है—6 और 7 सितंबर को गरज-चमक के साथ तेज बारिश के लिए तैयार रहें। 8 सितंबर को बादल थोड़ा ढील देंगे, पर 9 तारीख को फिर तेज बौछारें लौट सकती हैं। 10 सितंबर को आसमान आंशिक बादलों से घिरा रहने का अनुमान है।
शहर के तापमान ने भी इस बरसाती पैटर्न के साथ तालमेल बैठाया है। अधिकतम 34-35°C और न्यूनतम 23-25°C के बीच बना हुआ है। 5 सितंबर को पारा 25.9°C से 33.6°C के बीच झूला, आर्द्रता 71% के आसपास रही और हवाएं 20.2 किमी/घंटा तक चलीं। दिन में बारिश की संभावना 87% आंकी गई—यानी लगातार हल्की बारिश, और बीच-बीच में तेज बौछारें, खासकर दोपहर बाद और शाम के समय।
दिल्ली की हवा पर बारिश का असर साफ दिखा। AQI 75 के साथ मध्यम श्रेणी में रहा। PM2.5 करीब 29 µg/m³ और PM10 लगभग 75 µg/m³ मापा गया—ये स्तर बारिश के धुलने वाले प्रभाव की वजह से नीचे आए हैं, लेकिन जिन लोगों को दमा या एलर्जी की दिक्कत है, उनके लिए मास्क और दवाइयां साथ रखना बेहतर है।
अब सवाल—येलो अलर्ट का मतलब क्या? आसान भाषा में, सतर्क रहें। मौसम बिगड़ सकता है, पर हर जगह नुकसान की गारंटी नहीं। IMD के कलर-कोड में येलो का मतलब है: हालात पर नजर रखें, आवश्यक सफर की योजना बनाएं और जोखिम वाले इलाकों—निचली सड़कों, अंडरपास, और नालों के किनारे—से बचें।
ट्रैफिक, जलभराव और प्रशासन की तैयारी: किन बातों पर ध्यान दें
बारिश का सबसे सीधा असर सड़कों पर दिखा—जलभराव। जैसे ही तेज बौछारें आईं, कई जगहों पर गाड़ियां लंबी कतारों में फंस गईं। दिल्ली में अंडरपास और निचले हिस्से जल्दी भरते हैं, इसलिए ड्राइवरों को वैकल्पिक मार्ग सोचना पड़ता है। अगर आप दफ्तर जा रहे हैं, तो समय से पहले निकलना व्यावहारिक है और जहां संभव हो, वर्क-फ्रॉम-होम विकल्प अपनाना भी।
मेट्रो इस मौसम में भी सबसे भरोसेमंद रहती है, पर एंट्री-एग्जिट गेट्स पर भीड़ बढ़ सकती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट लेते समय छाता/रेनकोट रखें और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस वाटर-प्रूफ कवर में सुरक्षित करें। जिन इलाकों में पानी ज्यादा भरता है, वहां कैब/ऑटो चालक भी किराया बढ़ाने लगते हैं—पहले से ऐप पर किराया तुलना करना समय बचाता है।
शहर की जलनिकासी क्षमता दशकों पुराने ढांचे पर टिकी है। जैसे ही एक घंटे में तेज बारिश होती है, नालों की क्षमता जवाब देने लगती है और पानी सड़कों पर चढ़ जाता है। विशेषज्ञ लगातार कहते रहे हैं—कूड़ा/मलबा नालियों में फंसने से प्रवाह रुकता है, और यही शहरी बाढ़ की जड़ है। निचले इलाकों, अंडरपास और मुख्य नालों के आसपास पार्क की गई गाड़ियां पानी की राह और भी संकरी कर देती हैं।
IMD की ताजा सलाह के मुताबिक 6-7 सितंबर को बिजली कड़कने और तेज बौछारों की आशंका है। इसका मतलब है—खुले मैदान, पेड़ों के ठीक नीचे या लोहे की रेलिंग के पास ज्यादा देर खड़े रहने से बचें। यदि आप दोपहिया चला रहे हैं, तो रेन-गियर के साथ एंटी-स्किड ग्रिप वाले जूते पहनें और पानी भरे गड्ढों से बचकर निकलें, क्योंकि कवर का अंदाजा पानी में मुश्किल होता है।
बारिश के सप्ताह में घर और दफ्तर दोनों मोर्चों पर थोड़ी तैयारी मदद करती है। मोबाइल में अलर्ट चालू रखें, पावर-बैकअप चार्ज रखें और जरूरी दवाएं/इंहेलर बैग में रखें। जिन परिवारों में बच्चे और बुजुर्ग हैं, उनके लिए लंबे सफर टालना बेहतर है। अगर किसी इलाके में पानी घुटनों से ऊपर है, तो वाहन लेकर प्रवेश न करें—इंजन सीज होना आम है और टोइंग में समय बर्बाद होता है।
- यात्रा से पहले: मौसम और ट्रैफिक अपडेट देखें, 20-30 मिनट अतिरिक्त रखें।
- ड्राइविंग टिप्स: तेज पानी के बहाव में ब्रेक हल्के रखें, हाई बीम का सीमित उपयोग करें, और अंडरपास/निचले कट पॉइंट्स से बचें।
- स्वास्थ्य: दमा/एलर्जी वाले N95 या तीन-लेयर मास्क रखें, कपड़े सूखे रखें, भीगने पर तुरंत बदलें।
- घर की सुरक्षा: बालकनी/छत के ड्रेन का जाला साफ करें, बिजली के खुले बोर्ड/वायर ढकें, जरूरी कागजात वाटर-प्रूफ फोल्डर में रखें।
- आपात स्थिति: फंसे हों तो सुरक्षित जगह रुकें, वाहन का बोनट ज़बरदस्ती न खोलें; जरूरत हो तो 112 पर मदद मांगें।
बारिश से मिली राहत भी है—धूल धुली, हवा साफ हुई। मगर यही नमी डेंगू/मलेरिया के लिए मुफीद होती है। घर के आसपास पानी जमा न होने दें, कूलर/गमलों की ट्रे नियमित खाली करें। अगर बुखार तीन दिन से ज्यादा रहे या बदन दर्द के साथ चकत्ते दिखें, तो डॉक्टर से जांच कराएं।
5 से 10 सितंबर के बीच का यह बरसाती स्लॉट कामकाजी लोगों के लिए परीक्षा जैसा महसूस हो सकता है। लेकिन थोड़ी प्लानिंग—जलभराव वाले पॉइंट्स से बचना, मेट्रो/बस का बैकअप रखना, और देर शाम की गैर-जरूरी यात्राएं टालना—काफी राहत दे सकता है। कंपनियां भी हाइब्रिड वर्क-शेड्यूल से पीक-आवर भीड़ घटा सकती हैं।
कई लोगों के लिए सवाल यह भी है कि स्कूल या ऑफिस खुले रहेंगे या नहीं। अभी तक व्यापक बंद का कोई संकेत नहीं है, क्योंकि IMD का अलर्ट येलो स्तर पर है—यह सतर्कता का संकेत है, आपातकाल का नहीं। लेकिन स्थानीय परिस्थितियों—किसी खास इलाके में जलभराव या सड़क बंद होने—की वजह से संस्थान अपनी सलाह जारी कर सकते हैं।
अगले कुछ दिनों में नजरें आसमान और अलर्ट दोनों पर रहेंगी। 6-7 सितंबर को तेज बौछारें, 8 को आंशिक राहत, 9 को फिर गरज-चमक के साथ बारिश और 10 को आंशिक बादल—यह क्रम रोजमर्रा की रफ्तार को प्रभावित करेगा। सफर जरूरी हो तो समय का मार्जिन बढ़ाएं; संभव हो तो डिजिटल मीटिंग का विकल्प चुनें। मौसम का मिजाज बदलता रहेगा, पर सुचारु तैयारी बहुत-सी परेशानियों को शुरुआत में ही रोक देती है।