REVIEW: ‘Inside Edge Season 3’ में है स्पोर्ट्स एडमिनिस्ट्रेशन की गंदगी का असली चेहरा
Web Series REVIEW ‘Inside Edge Season 3’ Review: कॉन्टेंट क्रिएटर हों, टीवी या अख़बार-मैगज़ीन के एडिटर हों या कोई वेब साइट के कॉन्टेंट मैनेजर; सब एक बात बहुत अच्छे से समझते हैं. सिनेमा, क्राइम और क्रिकेट, ये तीन ऐसे विषय हैं कि जिन पर कुछ भी लिख दिया जाए, सब लोग उसे बड़ी दिलचस्पी से पढ़ते हैं. कई बार तो सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए या फिर वेब साइट पर विजिट बढ़ाने के लिए इनके मनगढंत किस्सों से लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सकता है.
यदि कोई निर्माता-निर्देशक ऐसा कुछ बना दे जिसमें सिनेमा हो, क्राइम और क्रिकेट हो यानी “थ्री इन वन” तो उसका हिट होना लाज़मी है. ‘Inside Edge Season 3’ हाल ही में अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज़ किया गया. पहले के दो सीजन की ही तरह इसमें भी क्रिकेट है, सिनेमा है और क्राइम है. तीसरा सीजन स्पोर्ट्स एडमिनिस्ट्रेशन के पीछे की गंदगी दिखाता है, इसलिए इसमें रिसर्च काफी की गयी है और फ़िल्मी प्रस्तुतिकरण थोड़ा कम है. अच्छी वेब सीरीज के चाहने वाले और जिन्होंने पहले दो सीजन देखें वो इस सीजन को और बेहतर पाएंगे.
इनसाइड एज को देखते देखते एहसास होता है कि क्रिकेट, जो कि हमारे देश का राष्ट्रीय खेल नहीं है, इसके बावजूद हमारे देश में सबसे बड़ा खेल है क्योंकि कुछ दशक पहले इसका एडमिनिस्ट्रेशन कुछ ऐसे लोगों के हाथ में आया जिन्होंने इसे एक पैसा बनाने का जरिया बना दिया. क्रिकेट खेल न हो कर एक व्यापार में तब्दील हो गया. टी20 क्रिकेट टूर्नामेंट के आगमन से हर गेम की अवधि छोटी और पैसा और बड़ा हो गया. इनसाइड एज में प्रमुख भूमिका किसी एक की नहीं है. सभी किरदार ज़रूरी हैं, महत्वपूर्ण हैं और सब अपने अपने मुताबिक कहानी की रफ़्तार को कम ज़्यादा करने का माद्दा रखते हैं.
सीजन 3 में मुख्य भूमिकाएं की है- भाई साहब यानी क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन यशवर्धन पाटिल (आमिर बशीर) ने. आमिर काफी समय से टेलीविज़न और फिल्मों में काम कर रहे हैं लेकिन इनसाइड एज से उन्हें बहुत फायदा होगा. एक खूंखार और क्रूर प्रशासक के रूप में, अपनी बेटी के सामने अपने भ्रष्टाचार के किस्से खुलते देख कर शर्मिंदा होते पिता के रूप में. दूसरी महती भूमिका उनके भाई विक्रांत पाटिल उर्फ़ विक्रांत धवन यानि विवेक ओबेरॉय की है.
विवेक ने सीजन 2 में भी लाजवाब काम किया था. एक चालाक और घाघ बिजनेसमैन के तौर पर विवेक बहुत जमे हैं. रक्तचरित्र नाम की एक फिल्म में भी वो विलन की भूमिका में अत्यंत प्रभावी थे. इस वेब सीरीज में भी उनका काम लाजवाब है. ज़रीना के किरदार में ऋचा चड्ढा वो धुरी है जो इस पूरी वेब सीरीज में द्वंद्व, अंतर्द्वंद्व और अपराध को जन्म देती रहती है. ऋचा चड्ढा को इस किरदार में देखने से सिनेमा का क्रिकेट की तरह झुकाव समझना बड़ा आसान है. क्या खूब अभिनय है ऋचा का, लाजवाब.
वायु राघवन के किरदार में तनुज विरवानी, रोहिणी राघवन के किरदार में सायानी गुप्ता, सीजन 1 से अपने आप को बार बार साबित करते आ रहे हैं. तनुज विरवानी के कैरेक्टर का ग्राफ बहुत अच्छे से रचा गया है. वो क्रिकेटर हैं, लड़कियां उन पर मरती हैं जिसका वो फायदा उठाते हैं, ड्रग्स भी लेते हैं, प्रतिभाशाली क्रिकेटर हैं लेकिन जब उन्हें सच में प्यार होता है तो वो अपनी ज़िन्दगी को सही ढंग से देखना शुरू करते हैं. गुस्से और बदले के अलावा कोई और इमोशन उन्हें पसंद नहीं है और वो किसी इमोशनल सिचुएशन से अपने आप को दूर ही रखते हैं. उनकी बहन के किरदार में सायानी का किरदार भी बहुत रिसर्च के बाद गढ़ा गया है.
मन्त्रा यशवर्धन पाटिल के किरदार में सपना पाबि सुन्दर हैं और प्रतिभावान भी हैं बस उनकी डायलॉग डिलीवरी की थोड़ी समस्या है. रेणुका शहाणे एक छोटे से लेकिन महत्वपूर्ण किरदार में हैं. अक्षय ओबेरॉय और सिद्धांत गुप्ता की रोल छोटे ज़रूर हैं लेकिन उन्होंने काम बहुत अच्छा किया है. इस सीजन में जिस किरदार ने सबसे ज़्यादा छाप छोड़ी है वो है देवेंदर मिश्रा के किरदार में अमित सियाल.
किसी मिश्रा सरनेम वाले किरदार का नाम देवेंदर कैसे हो सकता है, ये समझने वाली बात है. प्रीतिश के किरदार में जतिन गुलाटी, विक्रांत की पत्नी सुधा के रोल में हिमांशी चौधरी, मनोहर लाल हांडा के रोल में मनु ऋषि, आयेशा के रोल में फ़्लोरा सैनी भी पहले सीजन से बने हुए हैं और इस बार छोटा रोल होने के बावजूद, उनके आने से कहानी हर बार एक नया मोड़ लेती है.
इनसाइड एज के क्रिएटर हैं करण अंशुमन, जो एक बेहतरीन लेखक हैं, बेहतरीन निर्देशक भी हैं. करण की प्रतिभा का अंदाज़ लगाने के लिए उनके दोनों काम काफी हैं. एक तरफ उत्तर प्रदेश के ठेठ इलाकों में रची बसी वेब सीरीज “मिर्ज़ापुर” और दूसरी तरफ मूलतः मुंबई-दिल्ली में रहने वाले पैसे वालों के घरों के बेडरूम में खेली जा रही “इनसाइड एज”. उनकी सोच का परिणाम है कि इनसाइड एज को तीसरा सीजन मिला है और जिस मोड़ पर कहानी खड़ी है, लगता है की चौथा सीजन भी आएगा.
लेखन मण्डली में करण के साथ नीरज उधवानी, अनन्य मोदी, वत्सल नीलकांतन, वैभव विशाल और निधि शर्मा ने इस सीजन को काफी कसा हुआ बनाया है. नीरज कुमार, दिल्ली के पुलिस अफसर जो बाद में सीबीआई के संयुक्त निदेशक भी बने भी इस सीरीज की तारीफ किये बगैर नहीं रह सकेंगे क्यों कि लेखन मण्डली ने काफी रिसर्च की है.
एक एक सीन में जिस तरीके से स्पोर्ट्स एडमिनिस्ट्रेशन के किस्से और अलग अलग क्रिकेट बोर्ड्स के प्रेसिडेंटस को अपनी और मिलाने के लिए दी गयी रिश्वतों का ज़िक्र है वो देख के लगता है कि लिखने वालों ने मेहनत की है. नीरज कुमार हिंदुस्तान के वो पुलिसवाले हैं जिनकी वजह से मैच फिक्सिंग, इललीगल बेटिंग, क्राइम और खिलाडियों के ब्लैकमेल जैसे सारे किस्से सामने आये थे और भारत एक बहुत बड़े क्रिकेट स्कैंडल से गुज़रा था.
बतौर पुलिस अफसर उनके द्वारा जिन केसेस को हैंडल किया गया उनमें से कुछ चुनिंदा केसेस पर उन्होंने किताबें लिखी है और उसमें बेटिंग सिंडिकेट, दुबई, नेपाल, मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला और भी कई ख़ुफ़िया राज़ों को खोला है. क्रिकेट बोर्ड के प्रेजिडेंट बनने की कहानी जो इस सीरीज में दिखाई गयी है वो इतनी ऑथेंटिक लगती है कि दर्शकों को क्रिकेट से नफरत होने लगती है.
इनसाइड एज का सीजन 3 पहले दो सीजन की तुलना में कहीं अधिक दमदार है. अच्छा लेखन और अच्छी एक्टिंग की वजह से ये सीजन पसंद भी किया जा रहा है हालांकि पहले दो सीजन की तरह इसका प्रचार प्रसार कम किया गया. ये भी हो सकता है कि इसी दिन दुसरे ओटीटी पर बॉब बिस्वास और सूर्यवंशी रिलीज़ हो रही थी तो अमेजन ने इस पर पैसा खर्च करना ज़रूरी नहीं समझा.
सीरीज के सिनेमेटोग्राफर विवेक शाह का काम ठीक ही है क्योंकि वेब सीरीज के ज़्यादातर सीन आपसी बातचीत के हैं, और इंटिमेट सेटिंग में बस्ट शॉट्स से ज़्यादा कुछ कर पाने का स्कोप कम ही होता है. वेब सीरीज का तीसरा सीजन भी पहले दो सीजन से बेहतर बनाया गया है. इसे देखना चाहिए अगर आप 7 घंटे और 28 मिनिट खर्च कर सकते हैं तो. वैसे पहले दो सीजन नहीं देखे हैं तो तीसरा भी मत देखिये क्योंकि कहानी की कड़ियां जुड़ती हुई नज़र नहीं आएंगी.
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